लीलावती
क्या आपने भारत की महिला गणितज्ञ लीलावती का नाम सुना है? उनके बारे में कहा जाता है कि वे पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थीं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज यूरोप सहित विश्व के अनेक देशों में गणित की जो पुस्तक पढ़ाई जाती है, उसकी रचयिता लीलावती ही हैं।
लीलावती, दक्षिण भारत के महान गणितज्ञ और खगोल विद्या के बहुत बड़े पंडित की एकमात्र पुत्री थीं। विवाह के कुछ समय बाद ही वे विधवा हो गई। पिता ने बेटी का दुख भुलाने के लिए उन्हें गणित पढ़ाना आरंभ किया। लीलावती ने भी पूरी लगन से गणित पढ़ना शुरू कर दिया। गणित में उनका मन इतना रमा कि वे धीरे-धीरे अपना दुख भूल गई।
लीलावती ने गणित के कई महान ग्रंथों की रचना की और गणित-संबंधी लेखन कार्यों में अपने पिता की सहायता भी की। उनके पिता ने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ नामक ग्रंथ की रचना की जिसके एक भाग का नाम उन्होंने ‘लीलावती’ रखा।
‘लीलावती’ अंकगणित (Arithmetic) की एक महान पुस्तक है। इसका अधिकांश भाग लीलावती ने ही लिखा है। इसमें बीजगणित (Algebra) और क्षेत्रमिति (Mensuration) की भी जानकारी दी गई है। अकबर के दरबार के विद्वान फ़ैजी ने सन 1587 में ‘लीलावती’ का फ़ारसी भाषा में अनुवाद किया। ‘लीलावती’ का अंग्रेज़ी भाषा में अनुवाद जे० वेलर ने सन 1716 में किया।
भास्कराचार्य ने अपनी बेटी को गणित सिखाने के लिए ऐसे सूत्र बनाए जो काव्य में रचे गए थे। इन सूत्रों का उपयोग करके गणित के प्रश्न हल किए जाते थे। इन सूत्रों की शुरुआत “हिरन जैसे नयनों वाली प्यारी बिटिया लीलावती, ये जो सुत्र हैं…” जैसे शब्दों से की गई है। अपनी बेटी को पढाने के लिए उन्होंने इसी शैली का उपयोग किया।
कुछ समय पहले तक भारत में भी गणित को दोहों में पढ़ाया जाता था। जैसे पंद्रह का पहाड़ा इस प्रकार पढ़ा जाता था- दूनी तीस, तिया पैंतालीस, चौके साठ, छक्के नब्बे… अट्ठे बीसा, नौ पैंतीस…।
इसी तरह कैलेंडर याद करवाने का सूत्र था, “सि अप जूनो तीस के, बाकी के इकतीस, अट्ठाईस की फरवरी, चौथे सन उनतीस!”
इस तरह ‘लीलावती’ में गणित को बड़े ही रोचक, मनोरंजक और जिज्ञासा के साथ समझाया गया है। अपने पिता से सीखने के बाद लीलावती भी एक महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री के रूप में जानी गईं।
लीलावती ने सिद्ध कर दिया कि अगर लगन सच्ची हो, तो सफलता अवश्य मिलती है। धन्य हैं लीलावती के पिता जिन्होंने अपनी पुत्री को दुख से उबारकर उनके जीवन को एक नई दिशा दी।
भारत सरकार ने लीलावती को सम्मान देते हुए उनके नाम से ‘लीलावती पुरस्कार’ की शुरुआत की। ‘लीलावती पुरस्कार’ उन गणितज्ञों को दिया जाता है, जो गणित के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में काम करते हैं।
दलीलावती
सिद्धांतशिरोमणि